6:57 AM -
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कवि-सम्मेलन में आज एक मुक्तक मेरी पसन्द का ..........जिसे मैं
मंच संचालन में अवश्य प्रयोग करता हूँ चूँकि आज एक ऐतिहासिक
दिन है जब हमारे देश ने एक बड़े मुद्दे पर पारस्परिक नेह और
मोहब्बत का रुख अपना कर ये साबित कर दिया है कि अहिंसा और
धर्म की इस पावन भूमि में अब हिंसा और नफ़रत के लिए कोई जगह
नहीं..........
फूल की बातें करें, मकरन्द की बातें करें
गीत की बातें करें और छन्द की बातें करें
द्वेष ने बारूद पर बैठा दिया था आदमी
आइये अब अम्न और आनन्द की बातें करें
रचयिता : अज्ञात महापुरूष
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
2:21 PM -
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दिवंगत को परम शान्ति मिले
ओम शान्ति !
8:33 AM -
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धन का दरोगा चाहे कितना सताये हमें,
प्रण है शहीदों की क़सम नहीं बेचेंगे
सुविधा की समिधा से यज्ञ न करेंगे कभी,
दुविधा को अपना जनम नहीं बेचेंगे
लोगों ने तो नोंच नोंच खा ही लिया नियमों को,
लेखनी व आँख की शरम नहीं बेचेंगे
ज़िन्दा गड़वा दो चाहे गोलियों से भून ही दो,
कवि हैं कबीर की कलम नहीं बेचेंगे
रचयिता : डॉ सारस्वत मोहन 'मनीषी'
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
5:45 AM -
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कवि सम्मेलन की धारा में
आज फिर एक मंचीय कवि और फ़िल्म गीतकार
वीनू महेन्द्र
मैं गीतकार हूँ
गीत लिखता हूँ
मंहगा लिखता हूँ
सस्ता बिकता हूँ
पर जब कोई चैक मिल जाता है
तो जब तक न वो पास हो जाता है
बैंक के आसपास ही दिखता हूँ
रचयिता : वीनू महेन्द्र
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
8:02 PM -
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फिर से एक बार कबीर.....................
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय
हीरा जन्म अमोल-सा, कौड़ी बदले जाय
कबिरा तेरी झोपड़ी, गलकटियन के पास
करनगे सो भरनगे, तू क्यों भयो उदास
रचयिता : कबीर
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
9:21 PM -
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कवि - सम्मेलन में आज
हास्य सम्राट शैल चतुर्वेदी की एक ग़ज़ल.........
आयोजन लीलायें कितनी
चन्दे और सभायें कितनी
किसको फुर्सत है के सोचे
कवि कितने, कवितायें कितनी
बाहर चहल पहल कोलाहल
भीतर बन्द गुफ़ायें कितनी
सागर का तट छूते छूते
रीत गईं सरितायें कितनी
आंसू की भी क्या किस्मत है
बहने में बाधायें कितनी
रचयिता : शैल चतुर्वेदी
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
7:18 AM -
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आज प्रस्तुत है हास्य के हिमालय स्व० शैल चतुर्वेदी की
एक लोकप्रिय हास्य कविता
नये -नये मन्त्री ने कहा- आज कार हम चलाएंगे
ड्राइवर बोला - हम उतर जायेंगे
हुज़ूर ! चला कर तो देखिये........
आपकी आत्मा हिल जाएगी
ये कार है, सरकार नहीं,
जो भगवान के भरोसे चल जायेगी
रचयिता : शैल चतुर्वेदी
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
8:40 AM -
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एक बार फिर पेशे-ख़िदमत हैं उस्तादों के उस्ताद
शायर-ए-अज़ीम
जनाब फ़िराक गोरखपुरी के चन्द शे'र :
हमें भी देख जो इस दर्द से कुछ होश में आये
अरे दीवाना हो जाना मुहब्बत में तो आसां है
कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है, गुनाह नहीं
रचयिता : फ़िराक गोरखपुरी
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
8:31 AM -
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कवि -सम्मेलन की रंगारंग महफ़िल में आज प्रस्तुत हैं
सुप्रसिद्ध कवयित्री उर्मिला 'उर्मि'
है इक तीर लेकिन निशाने बहुत हैं
सियासत के ऐसे फ़साने बहुत हैं
अगर हौसला है तो गोताजनी कर
समन्दर की तह में ख़ज़ाने बहुत हैं
रचयिता : उर्मिला 'उर्मि'
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
9:26 AM -
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कवि-सम्मेलन की धारा में आज प्रस्तुत हैं
पुणे निवासी नवोदित रचनाकार
दिलीप शर्मा की एक नन्ही सी कविता
औक़ात
तुम हवा थी, ठीक थी
तूफान बनने की
क्या ज़रूरत थी ?
मैं तिनका था, तुच्छ था
वैसे भी उड़ जाता
रचयिता : दिलीप शर्मा
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
9:27 AM -
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शिक्षक दिवस के अवसर पर आज कवि-सम्मेलन में
एक बार फिर पेश है सन्त कबीर !
गुरू धोबी सिष कापड़ा, साबुन सिरजनहार
सुरत सिला पर धोइये, निकसै रंग अपार
रचयिता : सन्त कबीर
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
10:59 PM -
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कवि-सम्मेलन में आज सन्त कबीर के कुछ व्यसन विरोधी दोहे :
कलिजुग काल पठाइया, भंग तमाल अफीम
ज्ञान ध्यान की सुधि नहीं, बसै इन्हीं की सीम
भांग तमाखू छूतरा, अफयूं और सराब
कह कबीर इनको तजै, तब पावे दीदार
औगुन कहूँ सराब का, ज्ञानवंत सुनि लेय
मानुष से पसुआ करे, द्रव्य गांठ को देय
अमल अहारी आत्मा, कबहूँ न पावै पारि
कहै कबीर पुकार कै, त्यागो ताहि बिचारि
मद तो बहुतक भान्ति का, ताहि न जानो कोय
तनमद मनमद जातिमद, मायामद सब लोय
रचयिता : सन्त कबीर
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
4:06 AM -
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कवि-सम्मेलन की महफ़िल में आज जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर प्रस्तुत है
अमेरिका निवासी कवयित्री भारती बी नानावटी की भक्ति रचना
जो मैंने डॉ सुधा धींगडा
सम्पादित "मेरा दावा है"
काव्य संकलन में बरसों पहले प्रकाशित की थी :
आओ कृष्ण आओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
रह ताकते भक्त हृदयों में
आनन्द-पुष्प खिलाओ रे
माया नर्तकी नाच रही है
कीर्तन-धुनी कराओ रे
त्रिगुण मुक्त प्रकृति आपकी
'मैं' और 'मेरी' छुड़ाओ रे
अन्धकार अज्ञान का छाया
ज्ञानदीप प्रगटाओ रे
प्रभु ! आपकी अनुकम्पा का
माधुर्य छलकाओ रे
अभिलाषा यह पूरी कर दो
दिव्य-रूप दर्शाओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
रचयिता : भारती बी. नानावटी
प्रस्तुति : अलबेला खत्री