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9:23 PM -
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जीवन के दोहे
छोटी सी यह ज़िन्दगी, छोटा सा संसार
छोटे हो कर देखिये, मिलता कितना प्यार
अपनों की परवाह तो करते हैं सब लोग
ग़ैरों की ख़िदमत करो, ये है सच्चा योग
मेरे घर के सामने, रहती है इक हूर
दिल के है नजदीक पर, बाहों से है दूर
पुरखे अपने चल दिए, करके अच्छे काम
अपनी यह कटिबद्धता, नाम न हो बदनाम
तेरी मेरी क्या करूँ, क्या है इसमें सार
कोशिश है बाँटा करूँ, सबको अविरल प्यार
- अलबेला खत्री
जीवन के दोहे
छोटी सी यह ज़िन्दगी, छोटा सा संसार
छोटे हो कर देखिये, मिलता कितना प्यार
अपनों की परवाह तो करते हैं सब लोग
ग़ैरों की ख़िदमत करो, ये है सच्चा योग
मेरे घर के सामने, रहती है इक हूर
दिल के है नजदीक पर, बाहों से है दूर
पुरखे अपने चल दिए, करके अच्छे काम
अपनी यह कटिबद्धता, नाम न हो बदनाम
तेरी मेरी क्या करूँ, क्या है इसमें सार
कोशिश है बाँटा करूँ, सबको अविरल प्यार
- अलबेला खत्री
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an apeel by albela khatri to all dear friends & well wishers |
6:57 AM -
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प्यारे मित्रो ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण प्रक्रिया में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन ख़ुशनुमा एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . जिन लोगों के साथ भी काम किया, सभी ने इतना मृदुल व्यवहार किया कि यह विश्वास और ज़्यादा मजबूत हो गया कि सरस्वती के सच्चे साधक चाहे कितने ही ऊँचे शिखर पर क्यों न जा बैठें...अपनी विनम्रता नहीं छोड़ते.........
ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी
गुजराती लोक संगीत के सुप्रसिद्ध कलाकार कीर्तिदान गढ़वी से जब हमने दो रचनाएं गाने के लिए कहा तो पहले तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि वे समयाभाव के कारण इतनी दूर नहीं आ सकते.......लिहाज़ा हम उदास हो गये क्योंकि उन दो गानों को हमने बनाया ही कीर्ति भाई के लिए था . इसलिए किसी और का स्वर लेने के बजाय हमने गीत ही छोड़ने का मन बना लिया लेकिन मुम्बई रवाना होने के ठीक एक दिन पहले ख़ुद उन्होंने फोन किया कि मैं सापुतारा आ रहा हूँ........अगर चाहो तो रास्ते में आपकी रेकॉर्डिंग करते हुए निकाल जाऊँगा . ये सुन कर पारस सोनी ( संगीत संयोजक) और मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा .
कीर्तिदान गढ़वी आये....गायन किया और ऐसा ज़बरदस्त किया कि मन आनन्द से झूम उठा. स्वर मन्दिर स्टूडियो सूरत का कोना कोना नाच उठा, ऐसा एहसास हुआ..........उल्लेखनीय है कि कीर्तिदान जी ने न केवल अपने ऊर्जस्वित व्यक्तित्व से हमें दीवाना कर दिया बल्कि माँ हिंगुलाज में श्रद्धा के कारण पारिश्रमिक भी बहुत कम लिया . मुझे भरोसा है कि कीर्तिदान का आगमन सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ हिंगुलाज की अनुकम्पा से हुआ . कदाचित माँ हिंगुला ख़ुद चाहती थीं कि कीर्ति भाई आये और उनकी महिमा गाये ...........धन्यवाद कीर्तिदान ! जय हो माँ हिंगुला !
-अलबेला खत्री
अगली पोस्ट में.............भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ( जारी )
.
प्यारे मित्रो ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण प्रक्रिया में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन ख़ुशनुमा एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . जिन लोगों के साथ भी काम किया, सभी ने इतना मृदुल व्यवहार किया कि यह विश्वास और ज़्यादा मजबूत हो गया कि सरस्वती के सच्चे साधक चाहे कितने ही ऊँचे शिखर पर क्यों न जा बैठें...अपनी विनम्रता नहीं छोड़ते.........
ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी
गुजराती लोक संगीत के सुप्रसिद्ध कलाकार कीर्तिदान गढ़वी से जब हमने दो रचनाएं गाने के लिए कहा तो पहले तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि वे समयाभाव के कारण इतनी दूर नहीं आ सकते.......लिहाज़ा हम उदास हो गये क्योंकि उन दो गानों को हमने बनाया ही कीर्ति भाई के लिए था . इसलिए किसी और का स्वर लेने के बजाय हमने गीत ही छोड़ने का मन बना लिया लेकिन मुम्बई रवाना होने के ठीक एक दिन पहले ख़ुद उन्होंने फोन किया कि मैं सापुतारा आ रहा हूँ........अगर चाहो तो रास्ते में आपकी रेकॉर्डिंग करते हुए निकाल जाऊँगा . ये सुन कर पारस सोनी ( संगीत संयोजक) और मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा .
कीर्तिदान गढ़वी आये....गायन किया और ऐसा ज़बरदस्त किया कि मन आनन्द से झूम उठा. स्वर मन्दिर स्टूडियो सूरत का कोना कोना नाच उठा, ऐसा एहसास हुआ..........उल्लेखनीय है कि कीर्तिदान जी ने न केवल अपने ऊर्जस्वित व्यक्तित्व से हमें दीवाना कर दिया बल्कि माँ हिंगुलाज में श्रद्धा के कारण पारिश्रमिक भी बहुत कम लिया . मुझे भरोसा है कि कीर्तिदान का आगमन सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ हिंगुलाज की अनुकम्पा से हुआ . कदाचित माँ हिंगुला ख़ुद चाहती थीं कि कीर्ति भाई आये और उनकी महिमा गाये ...........धन्यवाद कीर्तिदान ! जय हो माँ हिंगुला !
-अलबेला खत्री
अगली पोस्ट में.............भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ( जारी )
.
11:31 PM -
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आओ सम्वाद करें
चमन में मुरझाते हुए फूलों पर
जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर
माली से हुई अक्षम्य भूलों पर
सावन में सूने दिखते झूलों पर
कि कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें
गरीबी व भूख के मसलों पर
शहर में सड़ रही फसलों पर
भटकती हुई नई नस्लों पर
आँगन में उग रहे असलों पर
थोड़ा वाद करें, विवाद करें........आओ सम्वाद करें
शातिर रहनुमा की अवाम से गद्दारी पर
हाशिये पर खड़ी पहरुओं की खुद्दारी पर
मिट्टी के माधो बने हर एक दरबारी पर
बेदखल किये गये लोगों की हकदारी पर
थोड़ा रो लें, अवसाद करें .........आओ सम्वाद करें
ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा
न तो ज़ुबां मेरी खुली और न ही कुछ तुमने कहा
किन्तु अब खामोशियाँ अपराध है
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का
हर बशर मुँह ताकता है क्रांति के आगाज़ का
बीज जो बोया था हमने रक्त का, बलिदान का
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें ....आओ सम्वाद करें ....आओ संवाद करें
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
चमन में मुरझाते हुए फूलों पर
जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर
माली से हुई अक्षम्य भूलों पर
सावन में सूने दिखते झूलों पर
कि कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें
गरीबी व भूख के मसलों पर
शहर में सड़ रही फसलों पर
भटकती हुई नई नस्लों पर
आँगन में उग रहे असलों पर
थोड़ा वाद करें, विवाद करें........आओ सम्वाद करें
शातिर रहनुमा की अवाम से गद्दारी पर
हाशिये पर खड़ी पहरुओं की खुद्दारी पर
मिट्टी के माधो बने हर एक दरबारी पर
बेदखल किये गये लोगों की हकदारी पर
थोड़ा रो लें, अवसाद करें .........आओ सम्वाद करें
ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा
न तो ज़ुबां मेरी खुली और न ही कुछ तुमने कहा
किन्तु अब खामोशियाँ अपराध है
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का
हर बशर मुँह ताकता है क्रांति के आगाज़ का
बीज जो बोया था हमने रक्त का, बलिदान का
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें ....आओ सम्वाद करें ....आओ संवाद करें
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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संवत्सरी,अणुव्रत, मिच्छामी दुक्कड़म,michhami dukkadam, jainism,jain, paryushan, mahavir,terapanth |
10:36 AM -
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सिल्कसिटी सूरत के सर्वप्रथम एवं सुप्रतिष्ठित दैनिक लोकतेज़ के मुख्य
पृष्ठ पर इन दिनों मेरी एक "कह-मुकरी" रोज़ाना प्रकाशित हो रही है.
ओपन बुक्स ऑन लाइन के माननीय प्रबन्धन सदस्य सर्वश्री योगराज
प्रभाकर, अम्बरीश श्रीवास्तव, गणेश जी बागी, सौरभ पाण्डेय समेत अन्य
विद्वानों के सान्निध्य में कविता के अनेक आयामों को सीखने का लाभ लेते
हुए मैं स्वयं को पहले से ज़्यादा ऊर्जस्वित और परिष्कृत पा रहा हूँ .
ओ बी ओ के प्रधान संपादक योगराज जी से प्रेरित हो कर मैंने कह-मुकरियां
लिखना शुरू किया और जब इसमें रस आने लगा तो लोकतेज़ के संपादक
कुलदीप सनाढ्य से कहा कि मैं इस विधा पर लम्बा काम करना चाहता हूँ
तो उन्होंने एक रचना रोज़ाना प्रकाशित करने का निर्णय तुरन्त ले लिया .
मेरे प्यारे कवि/कवयित्री मित्रो ! अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूँ कि
जो लोग लगातार नया लिखते रहते हैं और सचमुच साहित्य को समृद्ध करना
चाहते हैं उन्हें ओपन बुक्स ऑन लाइन से ज़रूर जुड़ना चाहिए.
अगर अभी तक आप सदस्य नहीं बने हैं............तो अभी बनिए..........क्योंकि
हिन्दी जगत में इसके अलावा ऐसी दूसरी कोई चौपाल नहीं जहाँ कविता लेखन
सिखाने के लिए सृजन के इतने महारथी एक साथ उपलब्ध हों .
जय ओ बी ओ
जय हिन्दी
जय जय हिन्द !
_अलबेला खत्री
सिल्कसिटी सूरत के सर्वप्रथम एवं सुप्रतिष्ठित दैनिक लोकतेज़ के मुख्य
पृष्ठ पर इन दिनों मेरी एक "कह-मुकरी" रोज़ाना प्रकाशित हो रही है.
ओपन बुक्स ऑन लाइन के माननीय प्रबन्धन सदस्य सर्वश्री योगराज
प्रभाकर, अम्बरीश श्रीवास्तव, गणेश जी बागी, सौरभ पाण्डेय समेत अन्य
विद्वानों के सान्निध्य में कविता के अनेक आयामों को सीखने का लाभ लेते
हुए मैं स्वयं को पहले से ज़्यादा ऊर्जस्वित और परिष्कृत पा रहा हूँ .
ओ बी ओ के प्रधान संपादक योगराज जी से प्रेरित हो कर मैंने कह-मुकरियां
लिखना शुरू किया और जब इसमें रस आने लगा तो लोकतेज़ के संपादक
कुलदीप सनाढ्य से कहा कि मैं इस विधा पर लम्बा काम करना चाहता हूँ
तो उन्होंने एक रचना रोज़ाना प्रकाशित करने का निर्णय तुरन्त ले लिया .
मेरे प्यारे कवि/कवयित्री मित्रो ! अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूँ कि
जो लोग लगातार नया लिखते रहते हैं और सचमुच साहित्य को समृद्ध करना
चाहते हैं उन्हें ओपन बुक्स ऑन लाइन से ज़रूर जुड़ना चाहिए.
अगर अभी तक आप सदस्य नहीं बने हैं............तो अभी बनिए..........क्योंकि
हिन्दी जगत में इसके अलावा ऐसी दूसरी कोई चौपाल नहीं जहाँ कविता लेखन
सिखाने के लिए सृजन के इतने महारथी एक साथ उपलब्ध हों .
जय ओ बी ओ
जय हिन्दी
जय जय हिन्द !
_अलबेला खत्री
8:42 PM -
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प्यारे मित्रो !
यह बताते हुए मुझे अत्यन्त ख़ुशी है कि आदि शक्ति देवी हिंगलाज
के भजनों और स्तुतियों पर आधारित एक शानदार वीडियो
"जय माँ हिंगलाज" के निर्माण ने अब तेजी पकड़ ली है और शीघ्र ही
यह तैयार हो कर हिंगलाज भक्तों तक पहुंचे, इसका प्रयास मैं कर
रहा हूँ
-अलबेला खत्री
यह बताते हुए मुझे अत्यन्त ख़ुशी है कि आदि शक्ति देवी हिंगलाज
के भजनों और स्तुतियों पर आधारित एक शानदार वीडियो
"जय माँ हिंगलाज" के निर्माण ने अब तेजी पकड़ ली है और शीघ्र ही
यह तैयार हो कर हिंगलाज भक्तों तक पहुंचे, इसका प्रयास मैं कर
रहा हूँ
-अलबेला खत्री
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albela khatri, hingulaj,hinglaj,jaihinglaj, |
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