तुम कहाँ हो
पधारी चाँदनी है तुम कहाँ हो
तुम्हारी यामिनी है,तुम कहाँ हो
समस्यायें उलझती जा रही हैं
नियति उन्मादिनी है, तुम कहाँ हो
अमृत के आचमन का अर्थ ही क्या
तृषा वैरागिनी है तुम कहाँ हो
तिरोहित हो रहा गतिरोध का तम
प्रगति अनुगामिनी है, तुम कहाँ हो
तुम्हारे 'रंग, की यह रूप-रेखा
बड़ी हतभागिनी है, तुम कहाँ हो
____बलबीर सिंह 'रंग'
पधारी चाँदनी है तुम कहाँ हो
तुम्हारी यामिनी है,तुम कहाँ हो
समस्यायें उलझती जा रही हैं
नियति उन्मादिनी है, तुम कहाँ हो
अमृत के आचमन का अर्थ ही क्या
तृषा वैरागिनी है तुम कहाँ हो
तिरोहित हो रहा गतिरोध का तम
प्रगति अनुगामिनी है, तुम कहाँ हो
तुम्हारे 'रंग, की यह रूप-रेखा
बड़ी हतभागिनी है, तुम कहाँ हो
____बलबीर सिंह 'रंग'
1 comments:
शरद कोकास said...
ये हुई न कुछ बात बलबीर सिन्ह रंग का यह अपना ही रंग है ।