कवि-सम्मेलन की महफ़िल में आज जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर प्रस्तुत है
अमेरिका निवासी कवयित्री भारती बी नानावटी की भक्ति रचना
जो मैंने डॉ सुधा धींगडा
सम्पादित "मेरा दावा है"
काव्य संकलन में बरसों पहले प्रकाशित की थी :
आओ कृष्ण आओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
रह ताकते भक्त हृदयों में
आनन्द-पुष्प खिलाओ रे
माया नर्तकी नाच रही है
कीर्तन-धुनी कराओ रे
त्रिगुण मुक्त प्रकृति आपकी
'मैं' और 'मेरी' छुड़ाओ रे
अन्धकार अज्ञान का छाया
ज्ञानदीप प्रगटाओ रे
प्रभु ! आपकी अनुकम्पा का
माधुर्य छलकाओ रे
अभिलाषा यह पूरी कर दो
दिव्य-रूप दर्शाओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
आओ कृष्ण आओ रे
रचयिता : भारती बी. नानावटी
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
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