कवि -सम्मेलन की रंगारंग महफ़िल में आज प्रस्तुत हैं
सुप्रसिद्ध कवयित्री उर्मिला 'उर्मि'
है इक तीर लेकिन निशाने बहुत हैं
सियासत के ऐसे फ़साने बहुत हैं
अगर हौसला है तो गोताजनी कर
समन्दर की तह में ख़ज़ाने बहुत हैं
रचयिता : उर्मिला 'उर्मि'
प्रस्तुति : अलबेला खत्री
1 comments:
Shah Nawaz said...
बहुत ही बेहतरीन रचना है!